Canonical Tag को Google, Yahoo और Microsoft Bing ने एक साथ सन 2009 में मिलकर लांच किया था, जिसका काम Search Engines की एक सामान्य समस्या को दूर करना था, लेकिन इसने SEO’s के लिए एक बढ़ी समस्या खड़ी कर दी है। what is Canonical tag in SEO आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि-
- Canonical Tag क्या होता है ?
- Canonical Tag का क्या अर्थ होता है और इसका उद्देश्य क्या है ?
- Canonical Tag को कैसे सेटअप करना चाहिए।
what is Canonical tag in SEO:
सबसे पहले ये बात अपने दिमाग से निकल दीजिए कि Canonical का डुप्लीकेट से कोई सम्बन्ध है।Canonical का अर्थ डुप्लीकेट नहीं होता है इसका सही अर्थ – पसंदीदा या Favourite होता है। एक ही प्रकार की बहुत सारी चीजों में किसी एक चीज का पसंदीदा होना, Canonical होती है। जैसे – सारे फल अच्छे होते है लेकिन आपको आम ज़्यादा पसंद है तो आपके लिए आम Canonical फल है।
आपकी वेबसाइट में कई बार एक ही कंटेंट वाले बहुत सारे Pages हो जाते है और Search Engines चाहते है की आप उन्हें बताये कि की इन सारे Pages में से आपका Canonical पेज कौन सा है।आप सारे Pages में एक ही लिंक एलिमेंट लगाते है, जो कुछ इस तरह से दिखता है –
<link rel=”canonical”href=”https://example.com/page.html”/>
जिसमे सबसे पहले आप { link rel=”canonical” } लिंक सम्बन्ध की घोषणा करते है, जो है – canonical फिर आप आप अपने canonical पेज का लिंक डालते है। ये Canonical tag in SEO की एक सामान्य व्याख्या थी अब थोड़ा Advance की तरफ बढ़ते है।
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वेबसाइट में एक जैसे पेज होने के सामान्यतः दो कारण होते है-
1. Technical
Technical कारण में आपका पेज एक ही होता है, लेकिन उसे अलग-अलग URLs से खोला जा सकता है। जैसे अगर आपका पेज है – example.com/page तो इसे कई URLs से खोला जा सकता है-
https://example.com/page
http://example.com/page
http://www.example.com/page
https://www.example.com/page
https://www.example.com/page/
आपके एक ही पेज तक पहुँचने के इतने सारे URLs है।हमारे लिए ये URLs एक जैसे दिखाई देते होंगे लेकिन Search Engines के लिए ये सभी पेज अलग-अलग है। ये सारे पेज Search Results में एक दूसरे से जगह के लिए लड़ते है और फिर आपकी पेज रैंक को डिवाइड करते है।
आपने अपनी नॉलेज में एक ही पेज बनाया है।आपके हिसाब से आपके हर कंटेंट में एक दम यूनिक कंटेंट है लेकिन Search Engines को ये अलग-अलग URLs पर दिखते है जिससे Search Engines भ्रमित (Confuse) हो जाते है। इसलिए आपको Canonical tag का इस्तेमाल करके Search Engines को Canonical Link देना होता है।
2. Content
जब आप एक ही कंटेंट को चाहे वो सटीक डुप्लीकेट हो या डुप्लीकेट जैसा हो (Near Duplicate), एक से ज़्यादा Pages में इस्तेमाल करते है, तो अच्छा होगा की आप Search Engines को खुद ही बता दे कि कौन-सा पेज Canonical पेज है।
सटीक डुप्लीकेट पेज वे पेज होते है जिनमे कंटेंट एक जैसा होता है और Near Duplicate वे पेज होते है जिनमे काफी हद तक कंटेंट एक जैसा होता है लेकिन थोड़ा-बहुत कंटेंट अलग-अलग होता है।
Canonical का फायदा ये है कि जब आप अलग-अलग pages पर Canonical Tag लगाते है और उन सब पर किसी एक पेज को पसंदीदा बताते है तो आप Search Engines को बता रहे है की इन सारे Pages को मिलने वाले रैंक सिग्नल को मिलाकर इस एक पेज को देना चाहिए। Canonical Tag आपके Link Juice को जोड़ने का काम करता है।
Use Canonical Tag:
Canonical Tag को इस्तेमाल करने का तरीका काफी आसान है। WordPress और बाकी सारे प्लेटफॉर्म्स में आपको बहुत सारे प्लगिन्स मिल जायेंगे।अगर आप अपने अपने WordPress में Yoast SEO प्लगइन का इस्तेमाल करते है तो आपको अपने पोस्ट एडिटिंग के पेज में निचे Yoast SEO के सेक्शन में Advanced पर क्लिक करना है। इसमें आपको Canonical URL का एक बॉक्स दिखाई देगा। इस बॉक्स में आप अपने Canonical URL को आसानी से डाल सकते है।

Blogger डिफ़ॉल्ट रूप से इस एलिमेंट को Header में प्रदान करता है। इसलिए आपको Blogger के लिए कुछ करने की जरुरत नहीं है। Html या Custom Code वाली वेबसाइट में इस लिंक एलिमेंट को Head सेक्शन में पेस्ट करना होता है। Canonical से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु है जिन्हे जानना और समझना आपके लिए बहुत जरुरी है।
Important Points of Canonical Tag:
1. Canonical टैग हिंट होता है, इंस्ट्रक्शन नहीं होता है।इसलिए अगर आपने अपने पेज पर Canonical Tag का इस्तेमाल किया है, और Search Engines को बता रहे है कि मेरा ये पेज Search Results में दिखाना है, यही मेरा Canonical पेज है लेकिन Search Engines आपके Canonical Page को अनदेखा करके किसी और पेज को Search Results में दिखा रहे है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है।
आपके किसी एक पेज को Canonical बनाने का मतलब ये नहीं है कि बाकि URLs को Search Engines क्रॉल नहीं करेंगे। Search Engines बाकि सारे pages को क्रॉल भी करेंगे और हो सकता है कि वो आपके बनाये हुए Canonical पेज को अनदेखा करके किसी और पेज को दिखाने लगे इसका मतलब ये नहीं है कि आपके सेटअप में कोई कमी है या आपको कोई समाधान ढूंढने की जरुरत है। Canonical Tag स्वभाविक रूप से एक सुझाव है और Search Engines के ऊपर निर्भर करता है कि वे इसे मानते है या नहीं मानते है।
2. Canonical Tag– 301 Redirect से अलग होता है।इन दोनों के बिच में आपको 1 % भी उलझन नहीं होनी चाहिए। 301 एक https की प्रतिक्रिया का कोड है, जो सर्वर से ब्राउज़र को मिलता है, और जो ब्राउज़र को बताता है कि इस URL पर जो भी कंटेंट था, वो अब स्थायी रूप से दूसरे URL पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
Canonical के मामले में ये सारे Pages बने रहते है, लाइव रहते है और वे हटते नहीं है। बस हमे Search Engines को ये बताना होता है कि कौन सा पेज मुख्य पेज (Canonical) है।
3. Canonical Tag को क्रॉस डोमेन भी इस्तेमाल किया जा सकता है |अगर आपका एक ही content दो अलग-अलग Domains पर है तो आप एक डोमेन के पेज को Canonical सेट कर सकते है जिससे आपके दोनों websites को मिलने वाले रैंकिंग Signals जुड़े रहेंगे |
4. आत्म सन्दर्भ (Self Referencing) Canonical Tags भी इस्तेमाल किये जा सकते है | जैसे – मान लो आपकी वेबसाइट में तीन pages है – X,Y,Z. इन तीनो pages में एक जैसा content है लेकिन आप पेज X को Canonical बनाना चाहते है | इसके लिए आप पेज Y पर लिंक एलिमेंट जोड़ते है कि पेज X Canonical है और पेज Z पर भी लिंक एलिमेंट जोड़ते है कि पेज X Canonical है लेकिन आपको पेज X पर भी लिंक एलिमेंट जोड़कर ये बताना होगा की पेज X Canonical है जिससे कोई उलझन ना हो |

अगर आप पेज Y और पेज Z पर Canonical सेट करेंगे तो Search Engines को ये पता लग जायेगा की पेज Y और Z के बिच में पेज X फेवरेट (Canonical) है लेकिन पेज X और Z के बिच में कौन सा फेवरेट है, ये नहीं पता चलेगा क्यूंकि पेज Z तो कह रहा है कि पेज X Canonical है लेकिन पेज X नहीं कह रहा है कि वो Canonical है या नहीं, ये Search Engines को नहीं पता लगेगा | इसलिए आपको पेज X पर भी आत्म सन्दर्भ (Self Referencing) Canonical Tags को इस्तेमाल करना पड़ेगा | Google खुद ये कहता है की आपको Self Referencing Canonical Tags को इस्तेमाल करना चाहिए |
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5. Canonical Tags काफी बार Href Lang Tag के साथ मिक्स हो जाते है क्यूंकि अगर आप जल्दीबाज़ी में देखे तो दोनों एक जैसे ही दिखाई देते है लेकिन वास्तव में दोनो में काफी फर्क होता है | hreflang टैग Search Engines को बताता है की ये पेज उस कंट्री और उस भाषा के लिए श्रेष्ठ है और Canonical टैग बताता है की बाकि सारे pages में से ये पेज फेवरेट (Canonical) है चाहे उनकी भाषा कोई भी हो |
इसलिए जब आप अलग-अलग भाषाओ वाले Pages में Canonical को सेट करते है तो हमेशा ध्यान रखिए कि एक भाषा के पेज को किसी दूसरी भाषा वाले पेज पर Canonical नहीं देना है | उदहारण के लिए अगर आपकी वेबसाइट पर दो पेज है – example.com/english और example.com/hindi तो आपको English और Hindi वाले पेज पर Canonical टैग को कैसे इस्तेमाल करना है निचे दिखाया गया है –

ध्यान से देखिये दोनों pages में hraflang टैग वाला कोड नहीं बदल रहा है लेकिन Canonical वाला कोड बदल रहा है | जिस भाषा में पेज है उसी भाषा मे Canonical सेट किया जायेगा अन्यथा Search Engines को मिक्स मेसेज मिलेगा |
Friends, उम्मीद है आपको Canonical Tag के बारे कुछ एडवांस इनफार्मेशन मिली होगी | Canonical Tags को समझना थोडा मुश्किल जरुर है लेकिन इसे समझना पड़ेगा और जरुरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल भी करिये |
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